UGC (University Grants Commission) ने 5 दिसंबर को नई गाइडलाइंस का ड्राफ्ट जारी किया, जो उच्च शिक्षा के लिए मानक निर्देशों के रूप में कार्य करेंगे। इन गाइडलाइंस के तहत, छात्रों को अब अपनी 12वीं या UG की पढ़ाई से स्वतंत्र रूप से किसी भी UG या PG कार्यक्रम में प्रवेश लेने का अवसर मिलेगा, बशर्ते कि उन्होंने उस क्षेत्र के लिए संबंधित प्रवेश परीक्षा पास की हो।
इन नए नियमों का उद्देश्य शिक्षा में लचीलापन लाना है, ताकि छात्रों को विभिन्न विषयों में अध्ययन करने का अवसर मिले और वे अपने शैक्षिक मार्ग को अपनी पसंद के अनुसार आकार दे सकें। अब छात्रों के लिए दो बार प्रति वर्ष प्रवेश (बायएयर एडमिशन) का विकल्प उपलब्ध होगा। यानी अब अगर विश्वविद्यालय तैयार हों तो छात्र जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में दोनों बार प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा, इनमें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट, पूर्व में सीखी गई चीजों की मान्यता (Recognition of Prior Learning), और एक साथ दो UG/PG डिग्री करने की लचीलापन भी शामिल है।
UGC के अध्यक्ष, M Jagadesh Kumar ने कहा, “हमने UG और PG के लिए पात्रता को स्कूल शिक्षा के सख्त विषय-विशिष्ट मानकों से अलग कर दिया है। अब छात्रों को अपनी पिछली विषय की परवाह किए बिना किसी भी कार्यक्रम में प्रवेश लेने का अवसर मिलेगा, बशर्ते कि वे संबंधित प्रवेश परीक्षा पास करें।”
इन बदलावों के साथ छात्रों को यह अवसर मिलेगा कि वे अपनी प्रमुख विषय में 50 प्रतिशत क्रेडिट प्राप्त करें, और बाकी के 50 प्रतिशत क्रेडिट वे मल्टीडिसिप्लिनरी या कौशल विकास, इंटर्नशिप जैसे क्षेत्रों में ले सकेंगे। इससे छात्रों का समग्र विकास संभव होगा।
ड्राफ्ट गाइडलाइंस में प्रमुख बदलाव:
- बायएयर एडमिशन: उच्च शिक्षा संस्थानों को अब प्रति वर्ष दो बार प्रवेश लेने की अनुमति दी गई है। अगर विश्वविद्यालय तैयार हैं, तो वे छात्रों को जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में प्रवेश दे सकते हैं।
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट: छात्र अब एक से अधिक बार प्रवेश और निकासी कर सकते हैं। इसके साथ ही, पूर्व में प्राप्त ज्ञान की मान्यता भी दी जाएगी।
- किसी भी विषय में प्रवेश: अब छात्रों को अपनी 12वीं या UG की पढ़ाई से अलग किसी भी विषय में UG या PG कार्यक्रम में प्रवेश लेने की स्वतंत्रता होगी, बशर्ते कि वे संबंधित प्रवेश परीक्षा पास करें।
- शैक्षिक लचीलापन: HEIs को अब छात्रों की उपस्थिति की आवश्यकताएँ निर्धारित करने की स्वायत्तता दी गई है, ताकि वे NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षा को अनुकूलित कर सकें।
- 50 प्रतिशत क्रेडिट विकल्प: छात्रों को अब अपने प्रमुख विषय में कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट प्राप्त करने होंगे, और बाकी के 50 प्रतिशत क्रेडिट वे कौशल, इंटर्नशिप, और अन्य विषयों में ले सकते हैं।
- अंडरग्रेजुएट डिग्री की अवधि: अब अंडरग्रेजुएट डिग्री की अवधि 3 से 4 साल हो सकती है, जबकि पोस्टग्रेजुएट डिग्री की अवधि 1 या 2 साल की होगी।
Accelerated Degree Programme (ADP) और Extended Degree Programme (EDP) के लिए मुख्य प्रावधान:
- ADP और EDP: ये दोनों कार्यक्रम केवल अंडरग्रेजुएट स्तर पर लागू होंगे।
- ADP के लिए 10 प्रतिशत और EDP के लिए कोई सीमा नहीं: HEIs ADP के लिए अपने स्वीकृत प्रवेश का 10 प्रतिशत आवंटित कर सकते हैं, जबकि EDP के लिए कोई सीमा नहीं होगी।
- ADP/EDP के लिए विकल्प: छात्र पहले या दूसरे सेमेस्टर के अंत में ADP/EDP चुन सकते हैं, और यह अवधि के अनुसार ही होगा।
- डिग्री में बदलाव: ADP और EDP में छात्रों को उसी पाठ्यक्रम का पालन करना होगा, जो मानक अवधि में निर्धारित है, लेकिन इसमें केवल समय की अवधि में बदलाव होगा।
- 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट डिग्री: जो छात्र 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट डिग्री (जैसे BSc (Hons), BE, BTech) पूरा करेंगे, वे 2 साल/4 सेमेस्टर के पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए योग्य होंगे।
इस नए ढांचे के साथ, भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को ग्लोबल मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा, जबकि यह विविध शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सक्षम होगा।