पिज्जा का सफर किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। यह केवल एक फास्ट-फूड नहीं, बल्कि ऐसा व्यंजन है जिसने साहित्य से लेकर रसोई तक अपनी पहचान बनाई है। वर्जिल की ऐनीड से लेकर अलेक्ज़ांद्रे ड्यूमा की ले कोरिकोलो और पेल्लेग्रिनो आर्टुसी की मशहूर कुकबुक ला सिएंज़ा इन क्यूचिना तक, पिज्जा ने सदियों से अपनी जगह बना रखी है।
आज पिज्जा हर संस्कृति में अलग-अलग रूपों में बेहद लोकप्रिय है। शुरुआत में यह केवल फ्लैटब्रेड हुआ करता था, जिस पर मशरूम और जड़ी-बूटियां डाली जाती थीं। न टमाटर की चटनी थी और न ही चीज़। यह गरीबों को बिना प्लेट के खाना खिलाने का साधन था—फ्लैटब्रेड ही उनकी प्लेट होती थी। ऐनीड में भी एक वाकया है, जहां एनीस और उनके साथी एक पेड़ के नीचे बैठकर पतली रोटी पर मशरूम और जड़ी-बूटियां डालकर खाते हैं। उनका खाना खत्म होने के बाद, एनीस के बेटे अस्केनियस कहते हैं, “देखो, हमने अपनी प्लेट भी खा ली!”
नेपल्स से निकला पहला असली पिज्जा
जिस पतले और स्वादिष्ट नेपोलिटन पिज्जा को हम आज जानते हैं, वह 18वीं सदी के अंत में नेपल्स में बनाया गया था। उस समय बोर्बन शासन के तहत नेपल्स यूरोप के सबसे बड़े शहरों में से एक था, जहां बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते थे। इन्हें लाज़ारोनी कहा जाता था क्योंकि उनकी हालत लाज़ारस जैसी लगती थी। ये लोग कुली, संदेशवाहक और मजदूर थे, जिन्हें सस्ता और आसानी से खाने वाला खाना चाहिए था। इस ज़रूरत ने पिज्जा को जन्म दिया।
अलेक्ज़ांद्रे ड्यूमा ने 1843 की अपनी किताब ले कोरिकोलो में पिज्जा का जिक्र किया है। उस समय पिज्जा बहुत ही साधारण हुआ करता था—लहसुन, नमक, और कभी-कभी घोड़े के दूध से बने कैसिकावालो चीज़ या तुलसी के पत्तों से सजाया जाता था। तब टमाटर को पहली बार टॉपिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया।
रॉयल्स की पसंद और पिज्जा का उत्थान
19वीं सदी के अंत तक पिज्जा को रॉयल मान्यता नहीं मिली थी, क्योंकि इसे गरीबों का खाना समझा जाता था। लेकिन 1889 में, इटली के एकीकरण के बाद, जब क्वीन मार्गरिटा और किंग अंबरटो प्रथम ने नेपल्स का दौरा किया, तो कहानी बदल गई। कहा जाता है कि क्वीन फ्रेंच खाना खाकर ऊब चुकी थीं और कुछ साधारण खाने की इच्छा जताई। तब पिज़्ज़ाईलो राफेल एस्पोसिटो ने तीन प्रकार के पिज्जा बनाए। एक पर लार्ड, कैसिकावालो और तुलसी, दूसरे पर सेसेनिएली (मछली), और तीसरे पर टमाटर, मोज़ेरेला और तुलसी।
क्वीन को तीसरा पिज्जा इतना पसंद आया कि इसे उनके नाम पर पिज्जा मार्गरिटा कहा जाने लगा। यह वही पिज्जा है जिसे आज बच्चे भी बड़े चाव से खाते हैं।
अमेरिका में पिज्जा का आगमन
रॉयल मान्यता मिलने के बाद, पिज्जा धीरे-धीरे एक डेलीकेसी बन गया। इटालियन व्यापारी और प्रवासी इसे अमेरिका ले गए। 1905 में न्यूयॉर्क में पहला पिज़्ज़ेरिया लॉम्बार्डी’ज़ खुला। हालांकि, शिकागो डीप डिश पिज्जा—जिसमें मोटी रोटी, नीचे चीज़ और ऊपर चटनी की परत होती है—ने पिज्जा की परिभाषा को थोड़ा बदल दिया।
घर-घर में पिज्जा
भारत में 30 साल पहले, मेरी मां घर पर मोटी प्रीमेड बेस से पिज्जा बनाती थीं। उस पर घर का बना सॉस और कद्दूकस किया हुआ चीज़ डालकर बेक करती थीं। हमें यह बेहद पसंद था। लेकिन असली इटैलियन पिज्जा का स्वाद मैंने मिलान और रोम में चखा। वहां के पतले, बड़े पिज्जा, जिन पर हल्की टमाटर चटनी, तुलसी, पार्मा हैम और मोज़ेरेला डाले जाते थे, बेहद लाजवाब होते हैं।
पिज्जा खाने का तरीका भी अलग
इटली में पिज्जा खाने का तरीका भी बाकी जगहों से अलग है। वहां कोई पिज्जा को हाथ से नहीं खाता या स्लाइस को सैंडविच की तरह मोड़ता नहीं है। हर कोई चाकू और कांटे से स्लाइस काटकर खाता है।
आज, पिज्जा केवल एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुका है, जो अपने स्वाद से हर किसी के दिल में खास जगह बना चुका है।