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नेहरू पर अनुच्छेद 35A छिपाने का आरोप: प्रधानमंत्री मोदी का दावा और इसके पीछे का आधार

The Young Opinion
Last updated: 2024/12/19 at 8:05 PM
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जम्मू और कश्मीर (J&K) से जुड़े अनुच्छेद 35A, जिसे अब हटाया जा चुका है, को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से लागू किया गया था। इसे लेकर बहस उठी कि संविधान में संशोधन का अधिकार सिर्फ संसद को है, लेकिन यह कदम बिना संसद की मंजूरी के लिया गया।

Contents
अनुच्छेद 35A का इतिहास और विवादअनुच्छेद 370 के जरिए अनुच्छेद 35A का प्रवेशसंविधान में चुनौती और निरस्तिविवाद पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर विशेष बहस के दौरान कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार पर संवैधानिक संस्थाओं के अपमान का आरोप लगाते हुए अनुच्छेद 35A के संविधान में शामिल किए जाने को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “तब उनके पास बहुमत था, लेकिन फिर भी उन्होंने संसद को अंधेरे में रखा। वे इसे जनता से छिपाना चाहते थे।”

राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस ने उस समय संविधान को अपनी निजी संपत्ति की तरह देखा, जैसा वे अपनी पार्टी को परिवार-आधारित इकाई समझते थे।”

अनुच्छेद 35A का इतिहास और विवाद

1954 में लागू अनुच्छेद 35A ने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार दिया कि वह “स्थायी निवासी” की परिभाषा तय करे और उन्हें विशेष अधिकार प्रदान करे। यह प्रावधान J&K की संवैधानिक पृष्ठभूमि से उपजा था।

स्वतंत्रता के बाद की स्थिति:
भारत की स्वतंत्रता के बाद रियासतों के पास तीन विकल्प थे: स्वतंत्र रहना, भारत में शामिल होना, या पाकिस्तान में शामिल होना। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई। लेकिन जनमत, पाकिस्तानी घुसपैठ और अन्य दबावों के कारण उन्होंने अक्टूबर 1947 में भारत के साथ ‘विलय पत्र’ (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के अनुसार, भारत को J&K में केवल रक्षा, विदेशी मामले, और संचार के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया। इसे लागू करने के लिए संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी ने ड्राफ्ट अनुच्छेद 306A (बाद में अनुच्छेद 370) को संविधान के प्रारूप में जोड़ा।

अनुच्छेद 370 के जरिए अनुच्छेद 35A का प्रवेश

संविधान के तहत संसद को संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन अनुच्छेद 370(1) ने संसद के इस अधिकार को सीमित कर दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर सरकार की “सहमति” आवश्यक हो गई।

1952 में दिल्ली समझौते के तहत यह तय हुआ कि J&K के निवासी भारत के नागरिक होंगे, लेकिन राज्य की विधानसभा को विशेष अधिकार देने का अधिकार होगा। यह प्रावधान 1927 में महाराजा हरि सिंह द्वारा जारी ‘वंशानुगत राज्य निवासी आदेश’ से प्रेरित था।

राष्ट्रपति का आदेश और विवाद:
1954 में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश जारी किया। इस आदेश ने अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा। यह आदेश संसद में बिना चर्चा के पारित किया गया, लेकिन इसे J&K की संविधान सभा की सहमति मिली, जो अनुच्छेद 370 के तहत अनिवार्य था।

अनुच्छेद 35A ने J&K विधानसभा को स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देने और अन्य व्यक्तियों पर भूमि खरीद, सरकारी नौकरी, और अन्य मामलों में प्रतिबंध लगाने की शक्ति दी।

संविधान में चुनौती और निरस्ति

2014 में अनुच्छेद 35A को यह कहकर चुनौती दी गई कि यह संसद को नजरअंदाज करते हुए संविधान में संशोधन का अधिकार देता है। संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत यह अधिकार केवल संसद के पास है।

2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने J&K में राष्ट्रपति शासन लागू किया। इसके बाद 2019 में संसद ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को पारित किया। इसके साथ ही J&K का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया और अनुच्छेद 35A भी समाप्त हो गया।

विवाद पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि उसने जनता और संसद से यह प्रावधान छिपाया। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का तर्क है कि इस कदम ने J&K के विशेष दर्जे और वहां की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।

आज भी यह मुद्दा भारत की राजनीति और इतिहास में बहस का विषय बना हुआ है। अनुच्छेद 35A और 370 के जरिए जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकारों को हटाना भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जाता है।

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TAGGED: Article 35A, J&K, Jammu And Kashmir, Modi, Narendra Modi, Nehru Controversies, Political Debate, Prime Minister
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1 Comment
  • tlover tonet says:
    February 23, 2025 at 10:50 pm

    That is the precise blog for anybody who wants to search out out about this topic. You notice so much its nearly exhausting to argue with you (not that I actually would need…HaHa). You undoubtedly put a new spin on a subject thats been written about for years. Nice stuff, just nice!

    Reply

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