भाई साहब, ये संसद है या किसी डेली सोप का सेट? शीतकालीन सत्र के 12वें दिन का हाल कुछ ऐसा ही था। राज्यसभा और लोकसभा दोनों में ऐसा हंगामा मचा कि राज्यसभा को 12 बजे तक और लोकसभा को बीच में ही स्थगित करना पड़ा। और हां, विपक्ष ने तो राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर ली है।
राज्यसभा में क्या हुआ?
राज्यसभा का माहौल कुछ ऐसा था जैसे कोई ‘नोसी नेबरहुड’ की मीटिंग चल रही हो। विपक्षी सांसद लगातार सरकार पर ताने कसते रहे, और सरकार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। विपक्षी दलों ने तो अविश्वास प्रस्ताव लाने की ठान ली है, भले ही उनके पास आंकड़े कम हैं। चेयरमैन धनखड़ को भी विपक्ष ने आड़े हाथों लिया, खासकर जब उन्होंने कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी का नाम लिया, ये कहते हुए कि उनकी सीट के नीचे से नकदी का बंडल मिला है।
क्या कहा कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने?
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने बड़े ही तंजिया अंदाज में कहा, “ये सरकार तो मानो ‘हम करे सो सही’ वाली मानसिकता में है।” उन्होंने बढ़ती महंगाई, अदाणी मामले, मणिपुर की स्थिति, किसानों की समस्याओं पर चर्चा की मांग की। तिवारी बोले, “हम तो चाहते हैं संसद चले, लेकिन सरकार की ‘ईमानदारी’ नहीं आने देती।”
‘मोदी-अदाणी एक हैं’ के नारे गूंजे
सोमवार को संसद परिसर में कुछ ऐसा माहौल था जैसे कोई प्रोटेस्ट रैली हो। विपक्षी दलों के सांसदों ने ‘मोदी, अदाणी एक हैं’ और ‘हमें न्याय चाहिए’ जैसे नारे लगाए। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे बड़े नेता खुद मैदान में उतरे और मकर द्वार पर खड़े होकर प्रदर्शन किया।
राज्यसभा में श्रद्धांजलि और शांति का पल
इधर, राज्यसभा में थोड़ी देर के लिए माहौल गंभीर और शांत हो गया जब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा को श्रद्धांजलि दी गई। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृष्णा की उपलब्धियों को याद करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति ने एक महान नेता को खो दिया है।
विपक्ष और सरकार की शतरंज
अब असली खेल ये है कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के जरिए जनता को संदेश देना चाहता है। हालांकि, इस प्रस्ताव के पास होने की उम्मीद कम है, पर इससे विपक्ष अपनी बात जनता तक ज़रूर पहुंचा सकता है।
प्रियंका गांधी भी आईं फ्रंटफुट पर
इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को संसद एनेक्सी में कांग्रेस की मीटिंग में भाग लिया। राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में आगे की रणनीति तय की गई।
सीरियस न्यूज, हल्के अंदाज में
संसद का ये सत्र एक तरह का लाइव रियलिटी शो बन गया है। कहीं सरकार विपक्ष पर चुटकी लेती है तो कहीं विपक्ष सरकार पर। जनता के लिए ये सब देखना मनोरंजक जरूर है, लेकिन असल सवाल ये है कि क्या ये हंगामा देश के गंभीर मुद्दों को सुलझाने में मदद करेगा?
निष्कर्ष
हंसी-मज़ाक और आरोप-प्रत्यारोप के बीच संसद का सत्र एक बार फिर विवादों और चर्चाओं से भरा रहा। विपक्ष और सरकार के बीच इस राजनीतिक ‘महाभारत’ में सबसे बड़ा सवाल यही है कि असली मुद्दों पर कब बात होगी? तब तक, आप चाय की चुस्की लीजिए और ‘संसद का लाइव ड्रामा’ देखिए।
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