सोने पर होने वाले लाभ: 24 महीने से अधिक रखने पर LTCG के तहत आते हैं और 12.5% टैक्स लगता है।
आजकल सोने की कीमतें ऊंचाई पर बनी हुई हैं, जिससे कई निवेशक गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs), डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs), या फिजिकल गोल्ड बेचने की योजना बना रहे हैं। लेकिन, सोने के विभिन्न रूपों को खरीदने और बेचने पर लागू होने वाले आयकर नियमों को समझना बेहद जरूरी है।
गोल्ड ETFs और फिजिकल गोल्ड पर टैक्स
गोल्ड ETFs:
- गोल्ड ETFs में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 12.5% टैक्स लगता है।
- हर वित्तीय वर्ष में ₹1.25 लाख तक की आय पर टैक्स छूट मिलती है।
- गोल्ड ETFs को LTCG के लिए दो साल या उससे अधिक समय तक रखना जरूरी है।
- दो साल से कम समय तक रखने पर होने वाले शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स, निवेशक की आयकर स्लैब के अनुसार लगता है।
फिजिकल गोल्ड:
- इसमें आभूषण, सिक्के और बिस्किट शामिल हैं।
- यदि फिजिकल गोल्ड 24 महीने से अधिक समय तक रखा गया हो, तो उस पर होने वाले लाभ को LTCG माना जाता है और 12.5% टैक्स लगता है।
- 24 महीने से कम समय तक रखने पर लाभ, निवेशक की आयकर स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है।
डिजिटल गोल्ड पर टैक्स
डिजिटल गोल्ड हाल के वर्षों में एक सुविधाजनक और सुरक्षित विकल्प बन गया है। इसमें आप ऑनलाइन सोना खरीद सकते हैं, जो प्रदाता द्वारा सुरक्षित वॉल्ट्स में रखा जाता है।
- डिजिटल गोल्ड पर टैक्स का नियम फिजिकल गोल्ड जैसा ही है।
- 24 महीने से अधिक समय तक रखने पर 12.5% LTCG टैक्स लगता है।
- 24 महीने से कम समय तक रखने पर STCG निवेशक की आयकर स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है।
SGBs और गोल्ड डेरिवेटिव्स पर टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs):
- SGBs को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करने पर होने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स-फ्री होता है।
- हालांकि, होल्डिंग पीरियड के दौरान मिलने वाला 2.5% वार्षिक ब्याज निवेशक की आयकर स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है।
गोल्ड डेरिवेटिव्स:
- कमोडिटी मार्केट में ट्रेड किए जाने वाले गोल्ड डेरिवेटिव्स पर टैक्स, कैपिटल गेन के रूप में नहीं बल्कि गैर-सट्टा व्यापारिक आय के रूप में लगता है।
- इसमें निवेशक अपने खर्चों को क्लेम कर सकते हैं, और शुद्ध लाभ को व्यापारिक आय के रूप में टैक्सेबल किया जाता है।
NRI निवेशकों के लिए टैक्स नियम
गैर-निवासी भारतीय (NRIs) फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, और पेपर गोल्ड में निवेश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) में निवेश की अनुमति नहीं है।
- NRI निवेशकों के लिए टैक्स दरें भारतीय निवासियों के समान हैं।
- हालांकि, गोल्ड ETFs या म्यूचुअल फंड रिडेम्प्शन पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) लागू होती है।
उपहार में मिला सोना
- यदि किसी करीबी रिश्तेदार से या शादी के अवसर पर सोना उपहार में मिला है, तो वह टैक्स-फ्री होता है।
- लेकिन यदि इसे बाद में बेचा जाता है, तो लाभ पर टैक्स लगेगा। यह टैक्स, सोने की खरीद लागत और पिछले मालिक द्वारा इसे रखने की अवधि के आधार पर तय होगा।
सोने की टैक्स प्लानिंग क्यों जरूरी है?
सोना सदियों से सुरक्षा और संपत्ति का प्रतीक रहा है, लेकिन इसके टैक्स नियमों को समझना जरूरी है। सही टैक्स प्लानिंग और अनुपालन से आप अपने निवेश का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। सोने में निवेश करने से पहले और इसे बेचने की योजना बनाते समय टैक्स नियमों पर ध्यान दें।
अपना सोना बेचने से पहले पूरी जानकारी लें और समझदारी से फैसला करें।