कई महीनों की अटकलों के बाद, यह साफ हो गया है कि शक्तिकांत दास के बाद आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में कौन जिम्मेदारी संभालेंगे। सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नए गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। छह वर्षों तक केंद्रीय बैंक का नेतृत्व करने के बाद, अब बारी है मल्होत्रा के अनुभव और दूरदर्शिता की।
तीन दशक का समृद्ध अनुभव
1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी संजय मल्होत्रा ने अपने करियर में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। वित्त, कराधान और खनन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उनका तीन दशकों का अनुभव उनकी सबसे बड़ी ताकत है। राजस्व सचिव बनने से पहले, उन्होंने वित्तीय सेवा विभाग के सचिव के रूप में सेवाएं दीं। उनके कार्यकाल में टैक्स सुधार और प्रक्रियाओं को सरल बनाने में उल्लेखनीय प्रगति हुई। साथ ही, वह जीएसटी काउंसिल के एक्स-ऑफिशियो सचिव भी हैं, जहां उन्होंने भारत के कर ढांचे को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
शैक्षणिक रूप से बेमिसाल
संजय मल्होत्रा की शिक्षा भी उनकी प्रोफेशनल पृष्ठभूमि की तरह ही प्रभावशाली है। वह आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है। उनकी यह शैक्षणिक पृष्ठभूमि उन्हें नीतिगत चुनौतियों और आर्थिक प्रबंधन में बेहतर फैसले लेने के लिए सक्षम बनाती है।
आरईसी लिमिटेड से आरबीआई तक का सफर
राजस्व सचिव के रूप में भूमिका निभाने से पहले, संजय मल्होत्रा ने आरईसी लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर कार्य किया। उनके नेतृत्व में कंपनी ने न केवल आर्थिक रूप से प्रगति की, बल्कि अपनी कार्यक्षमता में भी सुधार किया।
नई चुनौतियों का सामना
आरबीआई गवर्नर के रूप में मल्होत्रा का कार्यकाल आसान नहीं होगा। वह ऐसे समय में यह पद संभाल रहे हैं जब अर्थव्यवस्था कई मुश्किलों का सामना कर रही है। दूसरी तिमाही की विकास दर उम्मीद से कम रही है और महंगाई आरबीआई की सहनशीलता के दायरे से बाहर बनी हुई है। ब्याज दरों में कटौती की मांग तेज हो रही है, लेकिन आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछले 11 बैठकों में दरें स्थिर रखी हैं। अब मल्होत्रा को विकास और महंगाई के बीच संतुलन बनाना होगा, जो उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी।
शक्तिकांत दास की विरासत
संजय मल्होत्रा, शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जिन्होंने आरबीआई को सबसे मुश्किल दौरों में संभाला। उर्जित पटेल के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद नियुक्त हुए दास ने कोविड-19 महामारी और उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने में सराहनीय काम किया। उनकी अगुवाई में आरबीआई ने भारत की विकास और महंगाई की चुनौतियों को स्थिरता दी।
दास की यह मजबूत विरासत अब मल्होत्रा के लिए एक ऊंचा मानक स्थापित करती है। उनके सामने न केवल इस विरासत को बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी, बल्कि एक नई दिशा में आरबीआई को आगे बढ़ाने की चुनौती भी होगी।
क्या मल्होत्रा बदलेंगे आर्थिक तस्वीर?
आरबीआई के नए गवर्नर के तौर पर, मल्होत्रा को देश के आर्थिक परिदृश्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का अवसर मिलेगा। अब देखना यह है कि उनके नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक किन बदलावों और सुधारों की ओर अग्रसर होता है।