हरिद्वार की पवित्र गंगा, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, अब अपने जल की गुणवत्ता को लेकर चिंताओं का कारण बन रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लाखों रुपये और प्रयासों के बावजूद, गंगा जल पीने लायक नहीं है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
14 नवंबर की रात भीमगोड़ा बैराज से गंगा में पानी छोड़ा गया था। इसके बाद पीसीबी ने हरकी पैड़ी, बिशनपुर कुंडी, बालाकुमारी मंदिर (जगजीतपुर) और रुड़की गंगनहर से पानी के सैंपल लेकर जांच की। रिपोर्ट में पाया गया कि सभी स्थानों पर कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर निर्धारित मानकों से ज्यादा है।
- हरकी पैड़ी पर: 70 एमपीएन प्रति 100 एमएल
- रुड़की गंगनहर पर: 120 एमपीएन प्रति 100 एमएल
हालांकि, जल में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) की मात्रा संतोषजनक है, जिससे यह पानी नहाने के लिए सुरक्षित है।
करोड़ों खर्च के बाद भी क्यों नहीं सुधरी स्थिति?
गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी गंगा में कचरा डालने पर कड़ी रोक लगाई है। फिर भी, घाटों पर प्लास्टिक, पुराने कपड़े, पूजा सामग्री और अन्य कचरा फेंका जा रहा है। यह न केवल आस्था का अपमान है, बल्कि गंगा की स्वच्छता के लिए एक बड़ी चुनौती भी है।
क्या यह जल सुरक्षित है?
पीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार:
- पानी में घुलित ऑक्सीजन और बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर सही है।
- लेकिन टोटल कोलीफार्म बैक्टीरिया की अधिकता के कारण यह पानी केवल स्नान के लिए सुरक्षित है, पीने या आचमन के लिए नहीं।
- बिना क्लोरीनेशन के गंगा जल को पीना खतरनाक हो सकता है।
महाकुंभ के पहले स्वच्छता की चुनौती
जनवरी में हरिद्वार में महाकुंभ होने वाला है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। इस आयोजन से पहले गंगा की सफाई सुनिश्चित करना स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है।
प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी का बयान
राजेंद्र सिंह कठैत, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, कहते हैं:
“गंगा का पानी नहाने के लिए सुरक्षित है, लेकिन इसे बिना शुद्ध किए पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। पानी में बैक्टीरिया का स्तर कम करने के लिए और कदम उठाए जा रहे हैं।”
आगे का रास्ता
गंगा की पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखना सिर्फ प्रशासन का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। आइए हम सभी मिलकर गंगा में कचरा फेंकने से बचें और इसे स्वच्छ और सुरक्षित रखने में अपना योगदान दें।
“गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है। इसे बचाना हम सबका कर्तव्य है।”