“आइए क्रिकेट पर ध्यान दें, इन विवादों पर नहीं,” हरभजन ने कहा।
एडिलेड टेस्ट में भारत को 10 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस मैच का सबसे ज्यादा चर्चा में रहा सिराज और हेड के बीच का टकराव। जब मोहम्मद सिराज ने ट्रैविस हेड को 140 रन की शानदार पारी के बाद बोल्ड किया और उन्हें सेंड-ऑफ दिया, तो दोनों के बीच मैदान पर गर्मागर्मी देखने को मिली। इसके बाद आईसीसी ने दोनों पर मैच फीस का 20% जुर्माना लगाया।
हरभजन सिंह ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“मुझे लगता है कि आईसीसी खिलाड़ियों पर कुछ ज्यादा ही सख्त हो रही है। मैदान पर ये चीजें होती रहती हैं। बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। दोनों खिलाड़ियों ने बाद में आपस में बात कर मामले को सुलझा लिया। लेकिन आईसीसी ने अपना फैसला सुना दिया। अब इस विवाद को यहीं छोड़ दें और ब्रिस्बेन पर ध्यान लगाएं। क्रिकेट पर फोकस करें, इन विवादों पर नहीं। बस बहुत हुआ,” हरभजन ने कहा।
हेड ने क्या कहा?
ट्रैविस हेड ने इस घटना के बारे में बात करते हुए फॉक्स क्रिकेट को बताया,
“मैंने सिराज को ‘वेल बोल्ड’ कहा था, लेकिन उन्होंने इसे गलत समझा। जब उन्होंने मुझे पवेलियन की ओर इशारा किया, तो मैंने भी जवाब दिया। हालांकि, मैं इस घटना से थोड़ा निराश हूं। लेकिन अगर वे ऐसा व्यवहार करना चाहते हैं, तो यह उनकी अपनी बात है।”
सिराज ने किया हेड के बयान का खंडन
मोहम्मद सिराज ने ट्रैविस हेड के बयान को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि हेड ने जो कहा, वह सही नहीं है।
“हेड के साथ मैदान पर अच्छा मुकाबला चल रहा था। उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। जब एक अच्छी गेंद पर छक्का लगता है, तो तेज गेंदबाज को अलग तरह की ऊर्जा मिलती है,” सिराज ने बताया।
“हेड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा, वह सच नहीं है। उन्होंने सिर्फ ‘वेल बोल्ड’ नहीं कहा था, सबने देखा कि उन्होंने और क्या कहा।”
रवि शास्त्री ने क्या कहा?
पूर्व कोच रवि शास्त्री ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने CODE स्पोर्ट्स में लिखा,
“मुझे यकीन है कि सिराज और हेड दोनों परिपक्व खिलाड़ी हैं और इस मुद्दे को सुलझा चुके होंगे। मैदान पर तेज गेंदबाज का स्वभाव ऐसा ही होता है। छक्का खाने के बाद गुस्सा आना स्वाभाविक है। सिराज ने अपनी भावनाओं को बाहर निकाला, जो एक तेज गेंदबाज के लिए जरूरी भी है।”
निष्कर्ष
क्रिकेट का खेल सिर्फ तकनीक और स्कोर का नहीं, बल्कि भावनाओं और मानसिक लड़ाइयों का भी है। हरभजन सिंह की सलाह है कि इन छोटे-मोटे विवादों पर ध्यान देने की बजाय खेल के असली जुनून पर फोकस करना चाहिए। जब खिलाड़ी मैदान पर अपनी जान लगाते हैं, तो इस तरह की गर्मागर्मी भी खेल का हिस्सा बन जाती है। आखिरकार, क्रिकेट को खेल भावना से खेला जाना चाहिए, और यह घटना इसी का एक उदाहरण है।
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