देश के पहले फ्लाईओवर के डिजाइनर और शहरी विकास के प्रतीक शिरीष पटेल ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। 20 दिसंबर को उनका निधन हुआ। विभाजन के समय कराची में अपना बचपन बिताने वाले पटेल ने न केवल इंजीनियरिंग में अपनी छाप छोड़ी, बल्कि मुंबई के विकास के लिए अद्वितीय योगदान भी दिया।
देश के पहले फ्लाईओवर से लेकर नवी मुंबई की योजना तक
शिरीष पटेल ने मुंबई के केम्प्स कॉर्नर पर देश का पहला फ्लाईओवर डिजाइन किया था। इसके साथ ही उन्होंने नवी मुंबई के जिला विकास की योजना बनाकर देश के शहरी विकास में नई सोच का परिचय दिया। वे 1960 के दशक में एक संरचनात्मक इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद शहरी योजनाओं के एक बड़े समर्थक बन गए।
समान विकास के प्रति समर्पण
पटेल का मानना था कि शहरी विकास में सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कई बार मुंबई के बुनियादी ढांचे से जुड़े परियोजनाओं और नीतियों पर खुलकर आलोचना की, जो उनके मुताबिक शहर की समग्र प्रगति में बाधा डाल सकती थीं। उनकी वैकल्पिक योजनाओं और सुझावों को अक्सर प्रशासन द्वारा स्वीकार भी किया गया।
‘सही के लिए आवाज उठाने वाले आदर्शवादी’
मुंबई के प्रतिष्ठित वास्तुकार राहुल कादरी, जिन्होंने वर्षों तक पटेल के साथ काम किया, कहते हैं, “शिरीष भाई एक आदर्शवादी थे। उन्होंने हमेशा सही के लिए आवाज उठाई। उनकी दृष्टि राष्ट्र निर्माण के प्रति थी, और वे केवल मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे देश के समग्र विकास की बात करते थे।”
कादरी ने बताया कि पटेल के प्रयासों से ही बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को मलाबार हिल के जलाशय को गिराने और पुनर्निर्माण की योजना पर पुनर्विचार करना पड़ा। यह निर्णय मुंबई के हरित आवरण को संरक्षित करने के लिए लिया गया।
अन्य विशेषज्ञों की राय
पटेल के काम को उनके समकालीन और युवा सहकर्मियों से भी सराहना मिली। शहरी डिजाइनर जैस्मिन सलूजा ने बताया, “शिरीष जी ने सामुदायिक भूमि ट्रस्ट का विचार रखा, जिसमें सस्ती आवासीय इकाइयों के लिए जमीन आरक्षित करने का प्रस्ताव था। यह उनकी प्राथमिकता थी कि मुंबई में स्लम की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।”
वहीं, वास्तुकार पंकज जोशी ने बताया कि पटेल ने मुंबई के सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की खामियों पर भी खुलकर बात की। “उन्होंने मुंबई मेट्रो नेटवर्क, मोनोरेल और कोस्टल रोड जैसे बड़े बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं पर भी सवाल उठाए।”
सादगी और ईमानदारी का प्रतीक
पटेल को उनके सहकर्मी एक ऐसा व्यक्ति मानते थे जो अपनी प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना सही के लिए खड़ा होता था। वास्तुकार एलन अब्राहम ने कहा, “कई लोग निजी तौर पर असहमति जताते थे, लेकिन शिरीष जी ने हमेशा प्रशासन की नीतियों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की। यह उनकी साहसिकता थी जिसने उन्हें सबसे अलग बनाया।”
एक प्रेरणा के रूप में विरासत
शिरीष पटेल ने न केवल अपने समय में शहरी विकास को नई दिशा दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी बन गए। उनकी सहजता और व्यावसायिक दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल एक महान इंजीनियर बल्कि एक सच्चे मानवीय नेता भी बनाया।
उनकी विचारधारा और दृष्टिकोण आज भी शहरी विकास और समानता के क्षेत्र में प्रेरणा बने हुए हैं। उनका जीवन और काम यह साबित करता है कि सही दिशा में की गई मेहनत कैसे पूरे समाज को लाभ पहुंचा सकती है।