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Roorkee :- आईआईटी में फर्जी दस्तावेजों से ड्राइवर बना सचिन, सीबीआई ने दर्ज किया मुकदमा

The Young Opinion
Last updated: 2024/12/24 at 6:39 PM
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सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा कोई नई बात नहीं, लेकिन आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करना गंभीर अपराध है। ऐसा ही मामला आईआईटी रुड़की में सामने आया है, जहां सचिन राठी नामक एक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए ड्राइवर की सरकारी नौकरी हासिल कर ली। इस खुलासे के बाद सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और गहन जांच शुरू कर दी है।

कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?

सीबीआई को एक गुप्त शिकायत मिली थी, जिसमें सचिन राठी पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाया गया था। इस शिकायत के आधार पर सीबीआई की देहरादून शाखा ने जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि सचिन ने अपनी उम्र और शैक्षिक योग्यता से संबंधित गलत जानकारी देकर नौकरी हासिल की थी।

सचिन की नियुक्ति की प्रक्रिया

एफआईआर के अनुसार, सचिन राठी, जो मूल रूप से मुजफ्फरनगर के जवाहर नवोदय विद्यालय के पास का निवासी है, ने आईआईटी रुड़की में ग्रुप ‘सी’ के तहत ग्रेड-2 चालक पद पर नियुक्ति पाई। इस पद के लिए उसने मार्कंडेय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रामपुर से वर्ष 2013 में 10वीं पास होने का दावा किया था। उसके दस्तावेजों में जन्मतिथि 25 नवंबर 1996 दर्शाई गई थी।

सचिन की असल सच्चाई

सीबीआई की जांच में यह बात सामने आई कि सचिन ने वर्ष 2005 में जनता इंटर कॉलेज, हरसोली, मुजफ्फरनगर से 10वीं पास की थी। उसके असली दस्तावेजों में जन्मतिथि 25 नवंबर 1988 दर्ज है। सरकारी नियमों के अनुसार, ड्राइवर पद के लिए उसकी उम्र अधिक थी। इसी कारण उसने कम उम्र दिखाने के लिए नया प्रमाणपत्र तैयार कराया।

पुराने और नए दस्तावेजों में अंतर

जांच के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि सचिन ने केवल उम्र छुपाने के लिए ही नहीं, बल्कि नौकरी पाने के लिए अपने शैक्षिक रिकॉर्ड में भी हेरफेर किया। पुराने प्रमाणपत्र में दर्ज जानकारी और नए प्रमाणपत्र की जानकारी में भारी अंतर था, जिससे उसका झूठ पकड़ा गया।

सीबीआई की आगामी कार्रवाई

सीबीआई ने सचिन राठी के खिलाफ फर्जीवाड़ा और सरकारी नौकरी पाने के लिए जालसाजी का मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही, वह उस संस्थान की जांच भी करेगी, जहां से फर्जी प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि क्या संस्थान की ओर से जानबूझकर ऐसा किया गया या यह केवल आरोपी की साजिश थी।

पहले से आउटसोर्स पर काम कर रहा था सचिन

गौरतलब है कि सचिन राठी 1 नवंबर 2016 से आईआईटी रुड़की में आउटसोर्सिंग के जरिए ड्राइवर की नौकरी कर रहा था। लेकिन सरकारी नौकरी पाने के लिए उसने फर्जी प्रमाणपत्रों का सहारा लिया।

फर्जीवाड़ा कैसे रोका जाए?

यह घटना केवल एक व्यक्ति की साजिश भर नहीं है, बल्कि यह सरकारी नौकरियों की चयन प्रक्रिया में सख्ती की जरूरत को भी उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी भर्तियों में दस्तावेजों की गहन जांच और डिजिटल सत्यापन प्रणाली लागू करने से ऐसे मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है।

न्यायिक प्रक्रिया का इंतजार

सीबीआई की जांच के बाद सचिन पर लगे आरोपों की पुष्टि होगी। यदि वह दोषी पाया जाता है, तो उसे सख्त कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है। इस मामले ने न केवल आईआईटी रुड़की की छवि को प्रभावित किया है, बल्कि यह अन्य सरकारी संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी है।

यह घटना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कैसे कुछ लोग सरकारी नौकरियों में अनैतिक तरीकों से प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में न्याय प्रणाली कैसे काम करती है और सचिन जैसे फर्जीवाड़े करने वालों पर क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।

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TAGGED: Breaking News, Government job scam, IIT Roorkee, Roorkee News, SCam Alert
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