उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत हाईस्कूल पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया है। अब राज्य के सरकारी स्कूलों में नौवीं कक्षा की छात्राओं के लिए गणित विषय अनिवार्य कर दिया गया है। छात्राएं अब गृहविज्ञान के स्थान पर गणित नहीं चुन सकेंगी।
इस नई पहल का उद्देश्य शिक्षा में समानता लाना और छात्राओं को भविष्य में अधिक विकल्प प्रदान करना है। अब तक, लड़कों के लिए गणित अनिवार्य था, जबकि छात्राओं को गृहविज्ञान और गणित में से चुनने की स्वतंत्रता थी।
क्यों किया गया यह बदलाव?
शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गणित (STEM) जैसे क्षेत्रों में मजबूत आधार प्रदान करना है। इस नीति के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “यह कदम छात्राओं को गणित में पारंगत बनाने और उनके करियर विकल्पों को बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। इससे छात्राएं भविष्य में जीव विज्ञान, विज्ञान, या आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में आसानी से आगे बढ़ सकेंगी।”
गृहविज्ञान अब केवल ऐच्छिक विषय
अब छात्राएं नौवीं कक्षा में गृहविज्ञान विषय नहीं चुन पाएंगी। इसके बजाय, उन्हें सामान्य गणित पढ़ना होगा। हाईस्कूल में सामान्य गणित पढ़ने वाली छात्राएं 10वीं के बाद जीव विज्ञान, कला, या अन्य विषयों का चयन कर सकेंगी। वहीं, जो छात्र-छात्राएं स्टैंडर्ड गणित पढ़ेंगे, वे इंटरमीडिएट में भी गणित की पढ़ाई जारी रख सकेंगे।
शिक्षा विभाग के अनुसार, यह बदलाव सीबीएसई स्कूलों में पहले से लागू व्यवस्था के समान है। इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों को भी समान स्तर पर लाने की कोशिश की गई है।
छात्राओं को होगा ये फायदा
- करियर विकल्प बढ़ेंगे: गणित के अनिवार्य होने से छात्राएं विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में जाने के लिए बेहतर तैयार होंगी।
- समानता का संदेश: इस फैसले से लड़कियों और लड़कों के लिए एक समान शैक्षिक अवसर सुनिश्चित किए जा रहे हैं।
- आधुनिक शिक्षा: यह बदलाव छात्राओं को तकनीकी और वैज्ञानिक सोच विकसित करने में मदद करेगा।
शिक्षकों और छात्रों की राय
इस बदलाव को लेकर शिक्षकों और छात्रों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ शिक्षकों का मानना है कि यह निर्णय छात्राओं के भविष्य के लिए लाभदायक होगा। एक शिक्षक ने कहा, “गणित हर क्षेत्र में उपयोगी है। इसे अनिवार्य बनाने से छात्राएं आत्मनिर्भर बनेंगी।”
वहीं, कुछ छात्राओं और अभिभावकों ने चिंता जताई है कि अचानक से गणित को अनिवार्य बनाने से उन छात्राओं को कठिनाई हो सकती है, जो अब तक गृहविज्ञान पढ़ती थीं।
क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य है शिक्षा के सभी स्तरों पर समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना। इसके तहत छात्रों को कौशल-आधारित शिक्षा देने पर जोर दिया जा रहा है। गणित और विज्ञान को प्राथमिकता देकर देश को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की योजना है।
आगे की राह
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस बदलाव को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। छात्राओं को गणित में बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त कक्षाओं और संसाधनों की व्यवस्था की जाएगी।
इस फैसले के साथ उत्तराखंड राज्य शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, यह देखना होगा कि यह बदलाव छात्रों और अभिभावकों की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरता है।