हल्द्वानी नगर निगम में मेयर की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा के भीतर टिकट के लिए खींचतान तेज हो गई है। सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हैं, और दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पार्टी के पुराने दावेदारों से लेकर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए नेता तक, सभी अपनी दावेदारी ठोकने में लगे हुए हैं।
भाजपा के भीतर टिकट को लेकर घमासान
कांग्रेस से जुड़े व्यापारी नेता नवीन चंद्र वर्मा और पूर्व दर्जा राज्य मंत्री मोहनगिरी गोस्वामी के भाजपा में शामिल होने के बाद माहौल और गर्म हो गया है। इस बीच, भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गजराज सिंह बिष्ट ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अब तक लगभग 20 दावेदार मैदान में उतर चुके हैं, जिससे भाजपा में अंदरूनी खींचतान बढ़ गई है।
गजराज बिष्ट की दावेदारी पर सवाल
भाजपा के भीतर गजराज बिष्ट की दावेदारी को लेकर नए विवाद खड़े हो गए हैं। गजराज, जिन्हें अब तक राजपूत नेता के रूप में पहचाना जाता था, ने जब अपनी जाति ओबीसी बताई, तो पार्टी के भीतर और बाहर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। भाजपा में हाल ही में शामिल हुए नेताओं ने इसे लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह हैरानी की बात है कि गजराज बिष्ट, जो लंबे समय से पार्टी के वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं, अब खुद को ओबीसी वर्ग का हिस्सा बता रहे हैं।
गजराज बिष्ट का राजनीतिक सफर
गजराज बिष्ट भाजपा के एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। वे उत्तराखंड कृषि उत्पादन मंडी परिषद के अध्यक्ष और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में कालाढूंगी सीट से टिकट न मिलने के कारण उनकी नाराजगी खुलकर सामने आई थी। पार्टी ने उस समय बंशीधर भगत को टिकट दिया था, जिससे गजराज और भाजपा नेतृत्व के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी।
टिकट के लिए दावेदारों की बढ़ती संख्या
भाजपा के कुमाऊं संभाग कार्यालय में गुरुवार को गजराज बिष्ट ने अपनी दावेदारी पेश की। उनके अलावा कई अन्य नेता भी अपनी दावेदारी पेश करने पहुंचे। इनमें नवीन चंद्र वर्मा और मोहनगिरी गोस्वामी प्रमुख नाम हैं। हालांकि, पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज है कि टिकट किसे मिलेगा और इस फैसले से पार्टी में किस हद तक संतुलन बन पाएगा।
सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म
दावेदारों की बढ़ती संख्या ने न केवल भाजपा के भीतर, बल्कि पूरे हल्द्वानी में सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और आम जनता सभी इस बात पर नजरें गड़ाए हुए हैं कि आखिरकार मेयर पद के लिए भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा।
हल्द्वानी में मेयर पद की यह रेस भाजपा के लिए न सिर्फ एक चुनौती है, बल्कि इस बात की परीक्षा भी कि पार्टी आरक्षित सीट पर संतुलन बनाते हुए किस तरह से सही उम्मीदवार का चयन करती है। वहीं, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के भीतर के ये सियासी समीकरण आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति को कैसे प्रभावित करेंगे।
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