उत्तराखंड में मदरसों को लेकर एक बार फिर से सर्वे का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह फैसला राज्य में मदरसों में हो रही संदिग्ध गतिविधियों और अनियमितताओं की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर लिया गया है। राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने दिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि मदरसों में हो रही हर गतिविधि की गहनता से जांच की जाए। उन्होंने कहा, “मदरसों को शिक्षा का केंद्र बनाना हमारा उद्देश्य है। लेकिन अगर शिक्षा के नाम पर कुछ और हो रहा है, तो ऐसे तत्वों पर कड़ी कार्रवाई होगी।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह सर्वे पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा ताकि किसी भी पक्ष को अनावश्यक परेशानी न हो।
पुलिस करेगी सख्ती
उत्तराखंड पुलिस को इस अभियान में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुलिस के आईजी लॉ एंड ऑर्डर, नीलेश आनंद भरणे ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि “मदरसों से जुड़ी शिकायतों पर ध्यान दिया जा रहा है। हम जल्द ही सर्वे का विस्तृत कार्यक्रम बनाएंगे। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पुष्टि होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
शिकायतें क्यों बढ़ रही हैं?
राज्य में हाल के समय में कई मदरसों को लेकर शिकायतें आई हैं। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि कुछ मदरसों में बच्चों को शिक्षा देने के बजाय अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, यह सर्वे इसी संदर्भ में हो रहा है ताकि दोषियों को पकड़ा जा सके और मदरसों की साख को बनाए रखा जा सके।
सर्वे में क्या होगा शामिल?
- मदरसों का पंजीकरण: सर्वे के दौरान यह जांच की जाएगी कि सभी मदरसे विधिवत पंजीकृत हैं या नहीं।
- पढ़ाई का स्तर: यह भी देखा जाएगा कि मदरसों में कौन-कौन से पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं और क्या वे राज्य के नियमों के अनुरूप हैं।
- सुविधाएं और फंडिंग: मदरसों को मिलने वाले सरकारी और निजी फंड्स की जांच होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनका उपयोग सही ढंग से हो रहा है।
- अन्य गतिविधियां: सर्वे में यह भी देखा जाएगा कि कहीं मदरसों में बच्चों को किसी भी तरह के अनुचित कार्यों में तो शामिल नहीं किया जा रहा है।
पहले भी हो चुका है सर्वे
यह पहली बार नहीं है जब राज्य में मदरसों का सर्वे हो रहा है। कुछ समय पहले भी मदरसों की स्थिति जानने के लिए एक व्यापक सर्वे किया गया था। उस समय भी कुछ मदरसों में अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई थीं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के सर्वे जरूरी हैं ताकि शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सके। देहरादून की एक शिक्षाविद्, डॉ. अंजलि शर्मा ने कहा, “मदरसों का सही उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करना है। लेकिन अगर शिक्षा के नाम पर कुछ और हो रहा है, तो इसे रोकना बेहद जरूरी है। राज्य सरकार का यह कदम सही दिशा में है।”
राजनीतिक हलचल भी तेज
मदरसों के सर्वे को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां एक तरफ राज्य सरकार इस फैसले को कानून-व्यवस्था के लिए जरूरी कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ संगठन इसे एक खास वर्ग को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
आगे क्या होगा?
आईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि पुलिस और प्रशासन मिलकर जल्द ही इस सर्वे की रूपरेखा तैयार करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी मासूम को परेशान न किया जाए और जो दोषी हैं, उन्हें सख्त सजा दी जाए।
निष्कर्ष
मदरसों का यह सर्वे शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधियों पर लगाम लगाने की दिशा में एक अहम कदम है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा। अब देखना यह है कि यह सर्वे क्या नतीजे लेकर आता है और क्या मदरसों से जुड़े विवादों का समाधान हो पाता है।