दिल्ली में चुनावी माहौल के बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने एक बार फिर अपनी राजनीति में जनता को लुभाने का नया पत्ता फेंका है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ की घोषणा की है। इसके तहत दिल्ली की महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है, जिसे चुनावों के बाद बढ़ाकर 2,100 रुपये करने की बात कही गई है।
लेकिन यह योजना क्या वाकई महिलाओं की जिंदगी बदल पाएगी, या यह सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह जाएगी? यह सवाल अब हर किसी के ज़ेहन में उठ रहा है। खासकर जब दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने इस योजना को लेकर कई गंभीर चिंताएं जताई हैं।
गुरुवार को, दिल्ली कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी, लेकिन इसके साथ ही कई विवाद भी खड़े हो गए। वित्त विभाग ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस योजना के लागू होने से सब्सिडी का खर्च 15% से बढ़कर 20% तक हो जाएगा। विभाग ने यह भी चेतावनी दी कि इस योजना को अगर कर्ज के सहारे लागू किया गया, तो यह आर्थिक रूप से असंभव होगा।
फिर भी, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने योजना की घोषणा करते हुए कहा, “यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक बड़ा कदम है। हमारे स्वयंसेवक हर गली और घर जाकर महिलाओं का पंजीकरण करेंगे। चुनावों के बाद, यह पैसा उनके खातों में सीधे पहुंचाया जाएगा।”
वित्त विभाग की चिंताओं को लेकर सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग ने सुझाव दिया था कि योजना को लागू करने से पहले एक ठोस वित्तीय रोडमैप तैयार किया जाए। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने इसे प्राथमिकता देते हुए तुरंत लागू करने का फैसला लिया।
दिलचस्प बात यह है कि कैबिनेट बैठक की प्रक्रिया को भी लेकर सवाल उठे। सामान्य प्रशासनिक विभाग (जीएडी) ने कहा था कि बैठक बुलाने से कम से कम दो दिन पहले नोटिस देना चाहिए, लेकिन कैबिनेट ने इसे सुबह 10 बजे मंजूरी दी और दोपहर 1:10 बजे केजरीवाल ने इसकी घोषणा कर दी।
एक वरिष्ठ आप नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “चुनाव नज़दीक हैं और यह योजना हमारे प्रचार अभियान का मुख्य हिस्सा है। अगर इसे अभी घोषित नहीं किया जाता, तो विपक्ष को मौका मिल जाता और हम अपने लक्षित मतदाताओं को खो सकते थे। अब, भले ही योजना को लागू करने में समय लगे, लेकिन संदेश साफ है कि आप महिलाओं के लिए काम कर रही है।”
आप पार्टी के लिए महिला वोट बैंक का महत्व किसी से छुपा नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में हुए चुनावों में यह देखा गया है कि नकद सहायता योजनाओं ने महिलाओं के बीच सरकारों की लोकप्रियता बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र, झारखंड और मध्य प्रदेश में, महिला मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दलों की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दिल्ली में भी, 64 लाख महिला मतदाताओं में से 38 लाख महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं झुग्गी-झोपड़ी और अनधिकृत कॉलोनियों में रहती हैं, जो परंपरागत रूप से आप का मजबूत समर्थन करती रही हैं।
यह पहली बार नहीं है जब आप ने चुनावों से पहले ऐसी लोकप्रिय योजनाएं लागू की हैं। 2014-15 के विधानसभा चुनावों से पहले बिजली सब्सिडी की घोषणा ने पार्टी को जबरदस्त समर्थन दिलाया। 2020 के चुनावों से पहले महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा योजना शुरू की गई थी, जिसने अब तक 100 करोड़ से अधिक टिकटों की बिक्री के साथ बड़ी सफलता दर्ज की है। इसी तरह, वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीर्थ यात्रा योजना भी बड़ी संख्या में लोगों को लुभाने में सफल रही।
महिला सम्मान योजना का भविष्य
फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि योजना को कब और कैसे लागू किया जाएगा। विपक्ष इसे एक “चुनावी गिमिक” करार दे रहा है, जबकि आप पार्टी इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक क्रांतिकारी कदम बता रही है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह योजना वास्तव में दिल्ली की महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला पाएगी, या यह केवल एक चुनावी वादा बनकर रह जाएगी। लेकिन इतना तय है कि इस घोषणा ने राजनीतिक हलकों में हलचल जरूर मचा दी है।