भारत में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखा गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस हफ्ते राज्यसभा में बताया कि 2014 से पहले देश में जहां सिर्फ 387 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं 2024 तक यह संख्या 102% बढ़कर 780 हो गई है। इसी तरह, MBBS सीटों की संख्या में 130% का इजाफा हुआ है, जो 2014 से पहले 51,348 थी और अब बढ़कर 1,18,137 हो गई है।
मेडिकल कॉलेजों का बढ़ता दायरा
कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जहां 2013-14 में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं था, अब वहां भी संस्थान स्थापित हो चुके हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, दादरा और नगर हवेली, मिज़ोरम, नागालैंड जैसे क्षेत्रों में एक-एक कॉलेज खुल चुके हैं। तेलंगाना ने सबसे बड़ा बदलाव देखा है, जहां 2013-14 में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं था, लेकिन आज यह संख्या 65 तक पहुंच गई है।
गोवा और चंडीगढ़ ने अपनी परंपरागत एक-एक मेडिकल कॉलेज को बरकरार रखा है, हालांकि सीटों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है।
राज्यों में मेडिकल कॉलेजों और सीटों का विस्तार
- कर्नाटक: 2013-14 में 46 कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 73 हो गए हैं।
- महाराष्ट्र: कॉलेजों की संख्या 44 से बढ़कर 80 हो गई है।
- उत्तर प्रदेश: यहां कॉलेजों की संख्या 30 से 86 तक पहुंच गई, और MBBS सीटें 3,749 से बढ़कर 12,425 हो गईं।
- तमिलनाडु: 5,835 नई सीटों के साथ, अब यहां 12,050 सीटें हैं।
- तेलंगाना: बिना किसी मेडिकल कॉलेज के शुरुआत करने वाला यह राज्य अब 9,040 MBBS सीटों के साथ अग्रणी बन गया है।
- राजस्थान: 2013-14 में 10 कॉलेज और 1,750 सीटें थीं, जो अब 43 कॉलेज और 6,475 सीटों तक पहुंच गई हैं।
- मध्य प्रदेश: 12 कॉलेजों और 1,700 सीटों से यह संख्या 31 कॉलेज और 5,200 सीटों तक पहुंच गई।
- छत्तीसगढ़: 5 कॉलेज और 600 सीटों से 16 कॉलेज और 2,455 सीटें हो गईं।
- दिल्ली: 7 से 10 कॉलेज और 900 से बढ़कर 1,497 सीटें हो गईं।
क्या है इसका मतलब?
सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज और सीटों की संख्या में की गई इस वृद्धि से यह साफ है कि देश में मेडिकल शिक्षा को और अधिक सुलभ और व्यापक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। छोटे राज्यों और दूरस्थ क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेजों का खुलना न केवल छात्रों को शिक्षा के अधिक अवसर प्रदान करेगा, बल्कि इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
भारत में मेडिकल शिक्षा के इस बड़े विस्तार से न केवल डॉक्टर बनने के इच्छुक छात्रों को लाभ मिलेगा, बल्कि यह देश की स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियाद को भी मजबूत करेगा। सरकार के ये प्रयास दिखाते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा दोनों में एक नई ऊंचाई पर पहुंचने को तैयार है।