देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बैंकों के पास अब ज्यादा तरलता होगी। हालांकि, RBI ने GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है और FY25 के लिए महंगाई दर के अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया है।
CRR में कटौती, रेपो रेट स्थिर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 बेसिस पॉइंट्स (bps) की कटौती कर इसे 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य बैंकों के पास अतिरिक्त तरलता उपलब्ध कराना है।
CRR वह राशि है, जो बैंकों को अपनी कुल जमा का एक निश्चित प्रतिशत, आरबीआई के पास नकद के रूप में जमा रखना पड़ता है।
मुंबई में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा गया। यह लगातार 11वीं बार है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ।
GDP ग्रोथ और महंगाई दर का नया अनुमान
मौद्रिक नीति समिति ने FY25 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है। वहीं, महंगाई दर के अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया गया है।
MPC ने अपने रुख को ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा है।
CRR कटौती क्यों की गई?
CRR में 50 bps की कटौती से बैंकों के पास 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता आएगी। यह पैसा बैंकों को उधार देने के लिए उपलब्ध होगा, जिससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
हाल के दिनों में, रुपये को स्थिर रखने के लिए RBI ने डॉलर की बिक्री की, जिससे प्रणाली में तरलता कम हो गई। दिसंबर में एडवांस टैक्स, GST भुगतान और तिमाही अंत की मांग के कारण तरलता और कड़ी हो सकती है।
CRR में कटौती से बैंकों को इस पैसे पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ सकता है। यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार साबित हो सकता है।
रेपो रेट स्थिर क्यों रखा गया?
रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय 4-2 के बहुमत से लिया गया। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि खाद्य महंगाई अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा, “FY25 की तीसरी तिमाही तक खाद्य महंगाई का दबाव रहेगा, लेकिन चौथी तिमाही में इसमें कमी आने की संभावना है।”
पिछले दो महीनों में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रेपो रेट कम करने की अपील की थी।
साधारण कर्जदारों पर क्या असर होगा?
रेपो रेट स्थिर रहने से बैंकों के एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) नहीं बढ़ेंगे, जिससे कर्ज की मासिक किश्तों (EMI) में वृद्धि नहीं होगी। हालांकि, CRR कटौती से जमा दरों में मामूली कमी आ सकती है।
GDP ग्रोथ का अनुमान क्यों घटाया गया?
FY25 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान घटाने का कारण आर्थिक सुस्ती है। जुलाई-सितंबर 2024 में देश की GDP ग्रोथ 5.4% तक गिर गई, जो पिछले सात तिमाहियों में सबसे कम है। हालांकि, त्योहारों और ग्रामीण मांग ने अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक संभाला है।
महंगाई दर का बढ़ा अनुमान
FY25 के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.8% किया गया है। अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई 14 महीनों के उच्चतम स्तर 6.21% पर पहुंच गई।
आरबीआई ने कहा कि उच्च महंगाई से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति घटती है। इसलिए, महंगाई पर नियंत्रण के बिना उच्च विकास संभव नहीं।
RBI का यह कदम अर्थव्यवस्था को संतुलन में रखने और विकास को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।