उत्तराखंड, जो पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील राज्य है, यहाँ जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने एक नया और प्रभावी कदम उठाया है। अब, राज्य के अति संवेदनशील 12 वन प्रभागों से जुड़े गांवों के ग्राम प्रधानों और महिला मंगल दल (ममंद) व युवक मंगल दल (युमंद) के अध्यक्षों को भी वन विभाग के फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है।
अब, जब भी किसी वन प्रभाग में आग की घटना घटेगी, इन सभी को मोबाइल के माध्यम से आग का अलर्ट मिलेगा। इससे न केवल आग की सूचना जल्दी मिलेगी, बल्कि ग्राम प्रधानों और ममंद-युमंद अध्यक्षों को आग पर काबू पाने में भी मदद मिलेगी। वन कर्मियों के मौके पर पहुंचने तक ये स्थानीय लोग आग पर काबू पाने की कोशिश करेंगे।
जनसहभागिता से होगा सुरक्षा सुनिश्चित
उत्तराखंड के वन मंत्री, सुबोध उनियाल ने इस योजना की दिशा में कई अहम निर्देश दिए थे। उनके अनुसार, अब जंगलों की आग पर नियंत्रण में जनसहभागिता एक महत्वपूर्ण कदम बन गई है। राज्य में हर साल जंगलों में लगी आग की वजह से वन संपदा को काफी नुकसान होता है, और यह स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। खासकर, गर्मियों में जंगलों में आग अधिक भड़कती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह समस्या पूरे साल भर देखने को मिल रही है।
इन्हीं चिंताओं को देखते हुए राज्य सरकार ने इस साल जंगलों में आग को नियंत्रित करने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। पहले चरण में अति संवेदनशील वन प्रभागों के आसपास के गांवों के प्रधानों और ममंद-युमंद के अध्यक्षों को फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। अब तक, 12,000 से अधिक लोग इस सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं, और यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ने की उम्मीद है।
क्या है फायर अलर्ट सिस्टम?
यह सिस्टम वनकर्मियों के लिए एक मोबाइल अलर्ट की तरह काम करेगा, जिससे उन्हें जंगल में आग लगने की स्थिति के बारे में तुरंती जानकारी मिल सकेगी। अब इस सिस्टम का फायदा ग्राम प्रधानों और स्थानीय सामाजिक संगठनों के प्रमुखों को भी मिलेगा। जैसे ही आग का अलर्ट मिलेगा, वे तत्काल प्रभाव से स्थानीय लोगों को आग बुझाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेंगे।
आग से बचाव के लिए जनजागरूकता अभियान
सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के मद्देनजर कई जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। ग्रामीणों को यह बताया जा रहा है कि वे खेतों में आग से बचाव के लिए सुरक्षित तरीके अपनाएं, जैसे आड़ा फुकान को नियंत्रित तरीके से करना। इन अभियान के माध्यम से लोगों को जंगलों की आग से बचाने में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
संवेदनशील वन प्रभाग
यह नया फायर अलर्ट सिस्टम उन 12 वन प्रभागों से जुड़ा हुआ है, जो आग के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं। इन प्रभागों में शामिल हैं:
- अल्मोड़ा
- बागेश्वर
- चंपावत
- हल्द्वानी
- गढ़वाल
- उत्तरकाशी
- नरेंद्रनगर
- चकराता
- टिहरी
- बदरीनाथ
- सिविल सोयम अल्मोड़ा
- पौड़ी
इन क्षेत्रों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार द्वारा एक नई उम्मीद का सूरज जलाया गया है। अब, इस मुहिम में सरकार और जनता मिलकर वनों की आग से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए काम करेंगे।
आखिरकार, सुरक्षा और जागरूकता
यह कदम न केवल वनों की आग पर काबू पाने के लिए है, बल्कि यह दर्शाता है कि जब हम सभी एकजुट होकर किसी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं, तो उसका असर जरूर होता है। उत्तराखंड के हर नागरिक से अपील है कि वह इस मुहिम में भाग लें और अपने आसपास के जंगलों की सुरक्षा में योगदान दें। यह सिर्फ वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।