भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार, 29 नवंबर 2024 को घोषणा की कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के आगामी Axiom-4 मिशन के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रसांत बालाकृष्णन नायर, ने अपने प्रारंभिक प्रशिक्षण का चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
क्या है इसरो-नासा मिशन?
यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसरो और नासा के इस संयुक्त प्रयास में, दो गगनयात्री, शुभांशु शुक्ला (मुख्य) और प्रसांत नायर (बैकअप), अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले हैं। इन दोनों ने अगस्त 2024 के पहले सप्ताह से अमेरिका में अपना प्रशिक्षण शुरू किया था।
प्रशिक्षण का अनुभव कैसा रहा?
इसरो ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण के इस पहले चरण में गगनयात्रियों को मिशन से जुड़े ग्राउंड फसिलिटी टूर, मिशन लॉन्च के विभिन्न चरणों की जानकारी, स्पेसएक्स स्पेससूट फिटिंग, और अंतरिक्ष में खाने के विकल्पों की शुरुआत कराई गई।
इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के विभिन्न ऑनबोर्ड सिस्टम जैसे स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की परिचितता, अंतरिक्ष से फोटोग्राफी, दैनिक कार्य प्रणाली, और संचार प्रोटोकॉल पर भी प्रशिक्षण दिया गया। सबसे खास बात यह रही कि गगनयात्रियों को अंतरिक्ष में होने वाले संभावित आपात स्थितियों, जैसे चिकित्सा आपातकाल, से निपटने के लिए भी तैयार किया गया।
आगे की तैयारी
इसरो ने यह भी बताया कि अगले चरण में अमेरिकी ऑर्बिटल सेगमेंट के बाकी मॉड्यूल्स का प्रशिक्षण और माइक्रोग्रेविटी वातावरण में वैज्ञानिक प्रयोगों को करने की प्रक्रिया शामिल होगी। इसके अतिरिक्त, स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में विभिन्न मिशन परिदृश्यों पर भी गहन अभ्यास किया जाएगा।
यह मिशन क्यों है खास?
यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। जहां एक ओर यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर मजबूती देगा, वहीं दूसरी ओर यह देश के युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
गगनयात्रियों के इस अद्भुत सफर के लिए देश भर की शुभकामनाएं उनके साथ हैं।