पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने अपनी सरकार गिरने के बाद पहली बार बयान जारी किया है। 28 नवंबर, 2024 को दिए गए इस बयान में उन्होंने बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए ISKON नेता की ‘तुरंत रिहाई’ की माँग की। अवामी लीग द्वारा जारी बयान में शेख हसीना ने चिटगांव में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मारे गए सहायक लोक अभियोजक की हत्या की कड़ी निंदा की और लोगों से “संयुक्त रूप से” मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का सामना करने की अपील की।
उन्होंने कहा,
“सनातन समुदाय के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है। उनकी तुरंत रिहाई होनी चाहिए। चिटगांव में एक मंदिर को जलाया गया है। पहले भी मस्जिदों, मजारों, चर्चों, मठों और अहमदिया समुदाय के घरों पर हमले, तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी हुई है। सभी समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।”
क्या है मामला?
चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रमुख सदस्य हैं, को 25 अक्टूबर को चिटगांव में हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। श्री दास, जो बांग्लादेश में ISKON के अग्रणी सदस्य भी हैं, ने ढाका और रंगपुर में इसी तरह के प्रदर्शन किए थे। उनकी गिरफ्तारी और जमानत नामंजूर होने के बाद मंगलवार को उनके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिनमें सहायक लोक अभियोजक की हत्या हो गई।
पुलिस ने बुधवार को छह व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जिन पर शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की छात्र इकाई ‘छात्र लीग’ का सदस्य होने का आरोप है।
यूनुस सरकार पर हसीना का निशाना
शेख हसीना पर भारत में रहकर अपने समर्थकों से संपर्क करने का आरोप लगाते हुए यूनुस सरकार ने उन्हें “चुप” रहने की चेतावनी दी थी। सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो और वीडियो बातचीत वायरल होने के बाद ढाका की सरकार ने इंटरपोल से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया है। इससे पहले, शेख हसीना के अमेरिका स्थित बेटे साजिब वाज़िद जॉय ने ढाका की राजनीतिक स्थिति पर बयान दिया था, लेकिन यह पहली बार है जब शेख हसीना ने खुद इस मुद्दे पर बात की है।
उन्होंने सहायक लोक अभियोजक की हत्या की निंदा करते हुए कहा,
“एक वकील को अपने पेशेवर कर्तव्य निभाने के दौरान पीट-पीटकर मार दिया गया। जो भी इस हत्या में शामिल हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।”
चिटगांव की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने पिछले तीन महीनों में हुए अन्य हमलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा,
“यदि संविधान के खिलाफ सत्ता पर काबिज हुई यूनुस सरकार इन आतंकवादियों को सज़ा देने में विफल रहती है, तो उन्हें भी मानवाधिकार हनन के लिए सज़ा भुगतनी पड़ेगी। मैं देशवासियों से अपील करती हूँ कि ऐसे आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट हों।”
आर्थिक संकट पर हमला
शेख हसीना ने यूनुस सरकार को बांग्लादेश में बढ़ती महंगाई और असुरक्षा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
“वर्तमान सत्ता हथियाने वालों ने हर क्षेत्र में विफलता पाई है। वे न तो रोजमर्रा की चीज़ों की कीमतें नियंत्रित कर पाए हैं और न ही लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके हैं। मैं आम लोगों पर हो रहे इन सीधे और परोक्ष हमलों की कड़ी निंदा करती हूँ।”
पृष्ठभूमि
5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश की बागडोर संभाली। इस बदलाव के बाद से बांग्लादेश में कई हिंसक घटनाएँ हुईं, जिनमें अवामी लीग के नेताओं, छात्रों और पुलिस को निशाना बनाया गया।
शेख हसीना ने इन हत्याओं की निंदा करते हुए कहा,
“अवामी लीग के कई कार्यकर्ताओं, छात्रों, आम लोगों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्यों की हत्याएँ की गई हैं। इन अराजक गतिविधियों का मैं कड़ा विरोध करती हूँ।”
जनता से अपील
शेख हसीना ने लोगों से अपील की कि वे वर्तमान संकट का सामना करने के लिए एकजुट होकर खड़े हों और बांग्लादेश को आतंकवाद और अन्याय से मुक्त करें।